श्राद्ध करना क्यों आवश्यक है, इस संबंध में तर्क दिए जाते हैं –
१. श्राद्ध पितृ ऋण से मुक्ति का माध्यम है |
२. श्राद्ध पितरों की संतुष्टि के लिये आवश्यक है |
३. महर्षि सुमन्तु के अनुसार श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता का कल्याण होता है |
४. मार्कंडेय पुराण के अनुसार श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितर श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, संतति, धन, विघ्या, सभी प्रकार के सुख और मरणोपरांत स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करते हैं |
५. यदि श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो पितरों को बड़ा ही दुःख होता है |
६. ब्रह्मपुराण में उल्लेख है की यदि श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो पितर श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को शाप देते हैं और उसका रक्त चूसते हैं. शाप के कारण वह वंशहीन हो जाता अर्थात वह पुत्र रहित हो जाता है, उसे जीवनभर कष्ट झेलना पड़ता है, घर में बीमारी बनी रहती है |